भगत सिंह की पसंदीदा शायरी
यह न थी हमारी किस्मत जो विसाले यार होता
अगर और जीते रहते यही इन्तेज़ार होता
तेरे वादे पर जिऐं हम तो यह जान छूट जाना
कि खुशी से मर न जाते अगर ऐतबार होता
तेरी नाज़ुकी से जाना कि बंधा था अहदे फ़र्दा
कभी तू न तोड़ सकता अगर इस्तेवार होता
यह कहाँ की दोस्ती है (कि) बने हैं दोस्त नासेह
कोई चारासाज़ होता कोई ग़म गुसार होता
कहूं किससे मैं के क्या है शबे ग़म बुरी बला है
मुझे क्या बुरा था मरना, अगर एक बार होता
(ग़ालिब)
इशरते कत्ल गहे अहले तमन्ना मत पूछ
इदे-नज्जारा है शमशीर की उरियाँ होना
की तेरे क़त्ल के बाद उसने ज़फा होना
कि उस ज़ुद पशेमाँ का पशेमां होना
हैफ उस चारगिरह कपड़े की क़िस्मत ग़ालिब
जिस की किस्मत में लिखा हो आशिक़ का गरेबां होना
(ग़ालिब)
मैं शमां आखिर शब हूँ सुन सर गुज़श्त मेरी
फिर सुबह होने तक तो किस्सा ही मुख़्तसर है
अच्छा है दिल के साथ रहे पासबाने अक़्ल
लेकिन कभी – कभी इसे तन्हा भी छोड़ दे
न पूछ इक़बाल का ठिकाना अभी वही कैफ़ियत है उस की
कहीं सरेराह गुज़र बैठा सितमकशे इन्तेज़ार होगा
औरौं का पयाम और मेरा पयाम और है
इश्क के दर्दमन्दों का तरज़े कलाम और है
(इक़बाल)
अक्ल क्या चीज़ है एक वज़ा की पाबन्दी है
दिल को मुद्दत हुई इस कैद से आज़ाद किया
नशा पिला के गिराना तो सबको आता है
मज़ा तो जब है कि गिरतों को थाम ले साकी
(ग़ालिब)
भला निभेगी तेरी हमसे क्यों कर ऍ वायज़
कि हम तो रस्में मोहब्बत को आम करते हैं
मैं उनकी महफ़िल-ए-इशरत से कांप जाता हूँ
जो घर को फूंक के दुनिया में नाम करते हैं।
कोई दम का मेहमां हूँ ऐ अहले महफ़िल
चरागे सहर हूँ बुझा चाहता हूँ।
आबो हवा में रहेगी ख़्याल की बिजली
यह मुश्ते ख़ाक है फ़ानी रहे न रहे
खुदा के आशिक़ तो हैं हजारों बनों में फिरते हैं मारे-मारे
मै उसका बन्दा बनूंगा जिसको खुदा के बन्दों से प्यार होगा
मैं वो चिराग हूँ जिसको फरोगेहस्ती में
करीब सुबह रौशन किया, बुझा भी दिया
तुझे, शाख-ए-गुल से तोडें जहेनसीब तेरे
तड़पते रह गए गुलज़ार में रक़ीब तेरे।
दहर को देते हैं मुए दीद-ए-गिरियाँ हम
आखिरी बादल हैं एक गुजरे हुए तूफां के हम
मैं ज़ुल्मते शब में ले के निकलूंगा अपने दर मांदा कारवां को
शरर फ़शां होगी आह मेरी नफ़स मेरा शोला बार होगा
जो शाख-ए- नाज़ुक पे आशियाना बनेगा ना पाएदार होगा।
21 comments:
Thanks a lot for posting this !
Great.
Asha'ar ba-Khat-e-Bhagat Singh! His writing is also beautiful. Thanks
Hello. This post is likeable, and your blog is very interesting, congratulations :-). I will add in my blogroll =)THANX FOR
MAKING SUCH A COOL BLOG
Let me share with you a great resource,
Urdu Rasala
if you are searching for Some Great urdu literature Online And want to read Great urdu novels And poetry on one place then check this out
I find the valuable information is provided by you.
I recently came across your blog and have been reading along. I thought I would leave my first comment. I don't know what to say except that I have enjoyed reading. Nice blog. I will keep visiting this blog very often.
Thanks for all the comments and appreciation
bhagat singh ji ke baare me itna sb kuch dekh dil bahut khush hai... thanks alot.. esi shandaar cheez ko post krne ke liye...
thanks for this poetry sir
यह जानकर बहुत खुशी हुई की ग़ालिब भगत सिंह के भी पसंदीदा शायर हैं. लेकिन यहाँ हिन्दी में ग़ालिब के कई अशआर ग़लत लिखे हैं. हालांकि भगत सिंह के लिखावट जो उर्दू में यहाँ दी गयी है उसमें वो शेर सही लिखे हैं. जैसे 'की मेरे क़त्ल के बाद उसने जफ़ा से तौबा / हाय उस ज़ूद पशेमाँ का पशेमाँ होना' भगत सिंह ने उर्दू में सही लिखा है लेकिन हिन्दी में इस शेर को बिल्कुल ही कुछ और लिख दिया है.
Nesar Sahib, galtiyan darust kar comment men daal dijiye, ye hamare kise student se Hindi men karvayi thi.
Aapka Bahut Bahut shukriya
un mahaan Shakaheetaon ke baare me research ke liye...
भगतसिंह की जीवनी अगर मिले तो मैं भी इनके उपर एक महाकाव्य लिखना चाहूंगा। आप अगर हिन्दी में सब कुछ लिखेंगे तो भगतसिंह की पंजाबी भाषा वाले लेख की बात और हिन्दी का सम्मान होगा।
YEH JANKANKAR BHUT KHUSI HUI KI BHAGAT SINGH KI YADON KO JINDA RAKHA HE.AAJ BHAGAT SINGH KE VICHARO KI BAHUT JARURAT HE....
khudake lie jinese dusre ke lie jineme bahut ananda milata he BHAGAT SINGH ne yah jan liyatha isi liye vo desh ke lie haste haste fasi pe chadhe CHAMAN LALJI apka yah upakram bahut achha he me jivan me BHAGAT GINGH ko apna adarsh manata hu.
jai hind we remember you always.. jai hind
its very nice..par agar aap jo urdu ya tough hindi words hai unke meaning bhi agar mention kare to aur bhi log isse jud jaynge aur us mahan hasti ki baato ko achi tarah samjh paynge..
یہ غالبؔ کے اُردو اشعار ہیں۔ بہت عجیب بات ہے کہ اُردو اشعار کو دیوناگری میں لکھا ہے۔ یہ اُردو میں ہی لکھ ڈالئے
Urdu Poetry Urdu Mein Hi Hona Chaahiye, Yahaan To Devnagiri mein itni Khoobsoorati Aur Durusti Nahin Jitni Urdu Mein Hongi
You are doing a great job sir.
Thank a lot.
I have just started reading the real Bhagat Singh and getting a feel of leaning more towards left ideology. Beyond media hype and shallow presentations of Bhagat Singh till day is painful for me. Very rational and trustworthy presentation Prof Chaman Lal. I want to explore more,please provide with your email id
बहुत ही खूबसूरत
Many many thanks for posting such kind of information, hope it will continue in future also. A big salute to S Bhagat Singh, Rajguru and Sukhdev.
Dr. Manjit Singh Bal 9872843491
Post a Comment